शिक्षा किसी भी सरकार की प्राथमिकता में न थी न है। काफी वर्षों से सुरक्षा के नाम पर धन की बर्बादी सरकारों द्वारा की जा रही है। क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोई इसके बारे में नही पूछ पाता है। न ही कोई सूचना लेने का कोई प्रवधान है। सूचना के अधिकार से भी इसे बाहर रखा गया है। ताकि सरकार मनचाहा पैसे की बर्बादी या कहे लूट कर सके । प्रति वर्ष हमारे देश के कुल बजट में सबसे बड़ा हिस्सा सुरक्षा बजट का होता है । अब सबाल ये उठता है। कि हम सुरक्षित हैं, आतंकवाद समाप्त हो गया या या पड़ोसी देशों से घुसपैठ बंद हो गयी। नही ये लगतार हो रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि जब सरकार की मर्जी होती है तो हमे बताती है जब नही होती तब नही बताती । मेरा मानना है कि सिर्फ दो पंच वर्षीय योजना में शिक्षा का बजट सुरक्षा के बजट जितना कर दिया जाए तो हम विश्व मे प्रथम होंगे शिक्षा में ।
जनता हर बार कुछ सकारात्मक बदलाब के लिए वोट देती है पर हर बार जनता को किसी न किसी रूप में ठगा गया है और जनता फिर से अगले चुनाव का इंतजार करती है। परंतु इस देश मे कोई ऐसी व्यवस्था नही है। जब जनता को सरकाता पसन्द न हो तो उसे उसी समय खारिज कर सके ।
इसके लिए जरूरत है कि जो समाज की समस्याओं की समझ रखते हैं और जो बुद्धिजीवी हैं वे आगे आएं और राजनीति में भाग ले वे राज नीति को अछूत न समझे । हमे जरूरत है कि हम लूटेरों से सत्ता अपने हाथों में ले। और देश के भविष्य का निर्माण करें।
और में अपने सभी साथियों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे अपना कुछ समय व धन स्वाम से निकल कर देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में योगदान दें। https://youtu.be/zyrW1IpfgeU