ठेकेदारी समाज के लिए कुष्ठ रोग
आज ठेकेदारी एक बहूत बड़ी समस्या बन गई है । ये एक कुष्ठ रोग के जैसे समाज पर असर कर रही है। नासूर बन गई है लोगों के लिए ठेकेदारी एक ऐसी कार्य पधती है जो की केवल पूंजीपतियों का ही लाभ कराती और गरीबों का खून चुस्तीहै। जिसके कारन गरीब लोगका समाज और भी गरीब होता जा रहा है क्योंकि उनकी सुनाने बाला कोई नहीं है न ही सरकारें सुनती है न और कोई इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नही है ठेकेदार थोड़े से पैसे देकर उनकी झमता और उस पैसे की कीमत से भी जायदा काम कराने के लिए प्रयासरत रहते है उन्हें सिर्फ़ अपने लाभ के आगे किसी की भी गरीब की परवाह नही होती है ।
और न ही ठेकेदारी से मज्दोरों का भविष्य सुरझित है जब तक उनके शरीर में शक्ति है तब तक वो थोड़ा सा पैसा पाकर अपना जीवन जीत हैं । वो भी जानवरों की तरह उनका कोई भी रिकोर्ड भी नहीं होता और रिकोर्ड होता भी है तो ठेकेदारों के पास उससे वो अपनी मर्जी का कम करते हैं
अब तो मज्दुओं के पास साबुत नम की कोई चीज भी छोड़ते जैसे की वेतन की पर्ची इ एस आई सी , पी ऍफ़ , परिचय पत्र इत्यादी । इन सब चीजों के बिना कोई भी कम्पनी या ठेकेदार उनको आसानी से कभी नौकरी से निकल सकते हैं और वो बिना साबुत के अदालत में भी नहीं जा सकते क्योंकि अदालत में भी उनकी बिना साबुत के कोई सुनाने बाला कोई नही है । ऐसे वो मजदुर लोग अपनी बेकार से नौकरी छोड़ कर भी काफी परशानी में आजाते हैं क्योंकि वो कर्ज में तो उसी समय से दुबे होते हैं जबकि बो नौकरी कर रहे थे। अब उनके पास कोई भी चारा नहीं है ।
ऐसी दसा में वो लोग भी परेशां करते हैं जिनका पैसा लेकर मजदूर अपना कम चलाते थे । कभी-२ ऐसी परीस्थितियों में काफी मजदुर आत्म हत्या कर लेते हैं । या दूसरे ग़लत लोगो के बहेकाबे में आकर वो किसी ग़लत कार्य को अंजाम देते है जैसे की चोरी, डकैती , अपहरण , हत्या और भी कई प्रकार के अपराधों को बढ़ाबा मिलता है इस ठेकेदारी कारण और अंत में मजदूरों का जीवन नरक हो जाता है और उनके बच्चों की शिक्षा, पालन पोषण और उनसे सम्भंधित सभी चीजों में बढ़ा आती है
काफी कंपनिओं में तो ऐसा होता है की मजदुर अपना पुरा जीवन उस कम्पनी में कार्य करते हुए व्यतीत कर देते हैं जब उनका अन्तिम समय है ब्रधावस्था होती तब कम्पनी से निकल देते है ।
आज ठेकेदारी एक बहूत बड़ी समस्या बन गई है । ये एक कुष्ठ रोग के जैसे समाज पर असर कर रही है। नासूर बन गई है लोगों के लिए ठेकेदारी एक ऐसी कार्य पधती है जो की केवल पूंजीपतियों का ही लाभ कराती और गरीबों का खून चुस्तीहै। जिसके कारन गरीब लोगका समाज और भी गरीब होता जा रहा है क्योंकि उनकी सुनाने बाला कोई नहीं है न ही सरकारें सुनती है न और कोई इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नही है ठेकेदार थोड़े से पैसे देकर उनकी झमता और उस पैसे की कीमत से भी जायदा काम कराने के लिए प्रयासरत रहते है उन्हें सिर्फ़ अपने लाभ के आगे किसी की भी गरीब की परवाह नही होती है ।
और न ही ठेकेदारी से मज्दोरों का भविष्य सुरझित है जब तक उनके शरीर में शक्ति है तब तक वो थोड़ा सा पैसा पाकर अपना जीवन जीत हैं । वो भी जानवरों की तरह उनका कोई भी रिकोर्ड भी नहीं होता और रिकोर्ड होता भी है तो ठेकेदारों के पास उससे वो अपनी मर्जी का कम करते हैं
अब तो मज्दुओं के पास साबुत नम की कोई चीज भी छोड़ते जैसे की वेतन की पर्ची इ एस आई सी , पी ऍफ़ , परिचय पत्र इत्यादी । इन सब चीजों के बिना कोई भी कम्पनी या ठेकेदार उनको आसानी से कभी नौकरी से निकल सकते हैं और वो बिना साबुत के अदालत में भी नहीं जा सकते क्योंकि अदालत में भी उनकी बिना साबुत के कोई सुनाने बाला कोई नही है । ऐसे वो मजदुर लोग अपनी बेकार से नौकरी छोड़ कर भी काफी परशानी में आजाते हैं क्योंकि वो कर्ज में तो उसी समय से दुबे होते हैं जबकि बो नौकरी कर रहे थे। अब उनके पास कोई भी चारा नहीं है ।
ऐसी दसा में वो लोग भी परेशां करते हैं जिनका पैसा लेकर मजदूर अपना कम चलाते थे । कभी-२ ऐसी परीस्थितियों में काफी मजदुर आत्म हत्या कर लेते हैं । या दूसरे ग़लत लोगो के बहेकाबे में आकर वो किसी ग़लत कार्य को अंजाम देते है जैसे की चोरी, डकैती , अपहरण , हत्या और भी कई प्रकार के अपराधों को बढ़ाबा मिलता है इस ठेकेदारी कारण और अंत में मजदूरों का जीवन नरक हो जाता है और उनके बच्चों की शिक्षा, पालन पोषण और उनसे सम्भंधित सभी चीजों में बढ़ा आती है
काफी कंपनिओं में तो ऐसा होता है की मजदुर अपना पुरा जीवन उस कम्पनी में कार्य करते हुए व्यतीत कर देते हैं जब उनका अन्तिम समय है ब्रधावस्था होती तब कम्पनी से निकल देते है ।
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ReplyDeleteबढ़िया है, एक अच्छे काम के लिए आगे बढ़ने में मेरी शुभकामनाएँ...
ReplyDelete- विवेक पाठक
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