भोपाल गैस पीड़ितों के मुख्य पक्षधर और वकील जयप्रकाश ने भोपाल गैस त्रासदी में आठ आरोपियों के दोषी क़रार दिए जाने को पीड़ितों के साथ बड़ा मज़ाक़ कहा है.
उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "उन्हें अभी सिर्फ़ 304 (ए) में दोषी क़रार दिया गया है उन्हें 304 (2) में सज़ा सुनाई जानी है. उन्हें अभी सिर्फ़ लापरवाही के जुर्म में दोषी क़रार दिया गया है. 336, 337 और 338 में ज़्यादा से ज़्यादा सज़ा तीन से छह महीने है और 250 से 1000 रुपए तक का जुर्माना है."
उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह एक मज़ाक़ है, पांच लाख से ज़्यादा प्रभावित लोगों के साथ ये सज़ा एक मज़ाक़ है."
हम न्याय के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे और उनसे पूछेंगे कि अबतक सीजीएम के आदेश पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
जयप्रकाश, भोपाल गैस पीड़ितों के मुख्य पक्षधर
उन्होंने कहा, "25 साल बाद यह क़ानूनी मखौल है. उन्हें नरसंहार की सज़ा दी जानी चाहिए क्योंकि अभियुक्तों को पता था कि इस प्रकार की घटना हो सकती है."
एंडरसन का नाम शामिल नहीं होने पर उन्होंने कहा, " इस मुक़दमे में सुनवाई सिर्फ़ भारतीय नागरिकों के ख़िलाफ़ हो रही थी, एंडरसन के ख़िलाफ़ 1992 में ग़ैरज़मानती वारंट जारी किया जा चुका है."
जयप्रकाश ने ये भी बताया, "उन्हें अदालत ने भगौड़ा घोषित कर रखा है और अदालत में उसके ख़िलाफ़ अलग से मुक़दमा जारी है."
उन्होंने कहा कि 25 साल के बाद जो फ़ैसला आया है, वो पीड़ितों के हिसाब से नाकाफ़ी है इसीलिए फ़ैसले की कॉपी मिलते ही हम लोग तुरंत हाईकोर्ट में इसके विरुद्ध अपील करेंगे.
उन्होंने घोषणा की कि हम न्याय के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे और उनसे पूछेंगे कि अबतक सीजीएम के आदेश पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
सीबीआई पर निशाना लगाते हुए जयप्रकाश ने कहा, "सीबीआई कुछ नहीं करेगी जब तक कि भारत सरकार न चाहे."
No comments:
Post a Comment