भारत सरकार ने भोपाल गैस पीड़ितों को ज़्यादा मुआवज़ा देने और यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरन एंडरसन के प्रत्यर्पण की कोशिश करने के प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी है.
कैबिनेट ने गुरुवार को हुए बैठक में भोपाल मामलों के लिए बने मंत्रिसमूह की सभी 22 सिफ़ारिशें मंज़ूर कर लीं लेकिन इस त्रासदी के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की.
जून में भोपाल की एक निचली अदालत ने सभी सात दोषियों को दो-दो साल की जेल की सज़ा सुनाई थी हालांकि ये लोग कुछ ही घंटों में ज़मानत पर रिहा हो गए थे.
इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भोपाल मामलों पर मंत्रिसमूह का गठन किया था.
मंत्रिसमूह ने भोपाल गैस पीड़ितों को भारत सरकार की ओर से 1265 करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने की अनुशंसा की है.
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के लिए 272 करोड़ रुपए मंज़ूर किए गए हैं. यूनियन कार्बाइट प्लांट के पास की जगह की सफ़ाई के लिए भी सरकार पैसा देगी.
मंत्रिसमूह की सिफ़ारिशों में गैस त्रासदी में मारे गए लोगों के रिश्तेदारों को 10 लाख रुपए देने, स्थाई रूप से विकलांग हुए लोगों को पाँच लाख और कैंसर से पीड़ित लोगों को दो लाख रुपए देने की बात शामिल है.
कैबिनेट की बैठक में ये भी तय किया गया कि इस बात पर अटॉर्नी जनरल की राय ले जाएगी कि क्या डाउ केमिक्लस या यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेश्न की जगह आई कोई और कंपनी या यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटिड को त्रासदी के लिए दोषी ठहराया जा सकता है या नहीं.
साथ ही ये फ़ैसला भी लिया गया कि 1996 में सुप्रीम कोर्ट के भापोल गैस कांड से जुड़े फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है.
करीब 25 साल पहले 2/3 दिसंबर, 1984 को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस के कारण हज़ारों लोग मारे गए थे और अनेक लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे.
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